Saturday, June 21, 2014

Bastar prepares to stamps out 'foreign religion' i.e. Christianity. Only Hindu religion and its propagation allowed.


35 से अधिक गांवों में बाहरी धर्मो का प्रवेश प्रतिबंधित!
Foreign relegion restricted in more than 35 villages!


6/18/2014 8:59:00 PM
जगदलपुर बस्तर की सिरिसगुड़ा ग्राम पंचायत ने आदिवासी संस्कृति और परंपरा के नाम पर अनूठा फैसला लिया इस फैसले के चलते अब गांव में हिन्दू धर्म के अलावा किसी भी बाहरी धर्म का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है साथ ही ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना गांव में किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण भी वर्जित रहेगा
यह फैसला लेने वाला सिरिसगुड़ा एकमात्र गांव नहीं है, बल्कि बस्तर के 35 से अधिक गांव विशेष ग्राम सभाओं में ऎसा ही निर्णय कर चुके हैं मंगलवार को बस्तर के तोकापाल जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली सिरिसगुड़ा में भारी जनसमूह के बीच विशेष ग्राम सभा हुई
छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत अधिनियम 129 () के तहत विशेष ग्राम सभा बुलाई गई थी इसका एजेंडा गांव की सांस्कृतिक एकता और रूढिगत परंपरा को संरक्षित रखना था इसके लिए धारा 7 में चर्चा हुई
ग्राम सभा की अध्यक्षता गांव के महादेव नामक व्यक्ति ने की इस दौरान सरपंच-पंच ग्रामीण उपस्थित रहे विशेष ग्राम सभा के एजेंडा को देखते हुए यहां पुलिस तैनात रही ग्राम सभा के फैसले की प्रति कलक्टर, तोकापाल के तहसीलदार और बड़ांजी थाना को दी गई है विशेष ग्राम सभा के अंतर्गत इस निर्णय को लेकर पुलिस या प्रशासन कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं
धर्म परिवर्तन से जुड़ा है मामला
ग्राम सभा के फैसले को धर्म परिवर्तन मामले से जोड़कर देखा जा रहा है सिरिसगुड़ा ग्राम पंचायत की ग्राम सभा के फैसले की प्रति विश्व हिन्दू परिषद की जगदलपुर इकाई को भी भेजी गई है बस्तर में आदिवासियों के धर्म परिवर्तन के मामले आम हैं इनको पुन: हिन्दू धर्म से जोड़ने के प्रयास भी होते रहते हैं इस सब के बीच अब पंचायती राज अधिनियम के तहत सरगुजा और बस्तर को मिले विशेष ग्राम सभा के अधिकार के सहारे धर्म विशेष के अलावा अन्य प्रचारकों के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगाई है
हर गांव के अपने देवी-देवता
ग्रामीणों की माने तो बस्तर के हर गांव के अपने देवी-देवता होते हैं मेला मढ़ई में इनकी पूजा की जाती है मां दंतेश्वरी मंदिर की मढ़ई और बस्तर के प्रसिद्ध दशहरा उत्सव में सभी देवी देवता जगदलपुर पहुंचते हैं
क्यों लिया ऎसा फैसला
ग्राम पंचायत के अनुसार पिछले कुछ सालों में बाहरी प्रचारक गांव में आकर बहका रहे हैं ग्राम देवताओं के लिए गलत शब्दों का प्रयोग करते हैं इससे गांव की मान्य परंपराएं खंडित हो रही हैं गांव के प्रचलित धार्मिक आयोजनों में असहयोग की स्थिति बन रही है इसके चलते विशेष ग्राम सभा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए बाहरी धर्मो के गांव में प्रवेश पर रोक लगाई गई है
ये हैं ग्राम सभा के फैसले
- ग्राम पंचायत में सांस्कृतिक एकता और रूढिगत परंपरा को संरक्षित रखा जाएगा
-
हिन्दू धर्म के अलावा बाहरी धर्म प्रचार, प्रार्थना सभा, धार्मिक उपदेश प्रतिबंधित होगा
-
पंचायत की बिना अनुमति के धार्मिक स्थल का निर्माण पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होगा
-
पंचायत की अनुमति के बिना उक्त कृत्य करने वाला स्वयं दोषी माना जाएगा

This is what is happening in Chhattisgarh where the state government machinery is working with Hindutva radicals to stop 'foreign religions'. The tribals and not Hindus historically but no attempt is being spared to Hinduize them and to so called re-convert the tribals who are now Christians. Just three days ago 52 Christian families were beaten up mercilessly and 10 people ended up in Hospital just because they raised their voice against the discrimination they were facing. For more than 2 months these 52 Christian families were barred from taking ration from the ration shops of the village by an order of the elected village council head who is an active Hindu fundamentalist himself.

Now the government machinery and Hindutva brigade have gotten together to stamp out Christianity from the district and their decision says that propagation of only Hindu religion will be allowed and all other religions have to be kept out of the district. Is this India we live in anymore where the constitution promising religious freedom is still in force?